Saturday, July 20, 2013

समाचार पत्र का स्वरुप – 13



 विविध पत्रकार - 02

आज कल  के समाचारपत्रों में  अर्थ और वाणिज्य समाचारों का प्रचलन तेजी से बड़ा है. व्यापार वाणिज्य उद्योग तथा अर्थ से सम्बंधित समाचारों, शेयर बाज़ार तथा मंडियों के बाज़ार भाव इत्यादि के लिए समाचारपत्रों के एक से तीन पृष्ट सुरक्षित रखे जाते है . इसके लिए भी सम्पादकीय विभाग में आर्थिक डेस्क या आर्थिक संपादक की व्यवस्था की जाती है . इनकी मदद के लिए अलग अलग संवाददाताओ की नियुक्ति की जाती है . कॉर्पोरेट सेक्टरो के जाल ने तो आर्थिक पत्रकारिता को नए आयाम दिए है .
आज के दॊर में फिल्म जगत से जुड़े समाचारों को भी प्रमुखता दी जाने लगी है . प्राय बुधवार या शुक्रवार को समाचारपत्र फ़िल्मी मैगज़ीन के रूप में दो या चार पृष्ठों में अतिरिक्त सामग्री देते है . जिन्हें फ़िल्मी दर्शक अत्यंत चाव से पड़ते है . फ़िल्मी मैगज़ीन के लिए समाचारपत्र फिल्म संपादक की सेवाए लेते है
प्राय हर समाचारपत्र  रविवार को चार,  छः अथवा आठ पृष्ठों में रविवारीय परिशिस्ट  से सम्बंधित सामग्री देते है. इनमे पृष्ठों के अनुसार कहानी, उपन्यास, लघुकथा, फीचर, रिपोतार्ज, गीत, ग़ज़ल, खेल, सांस्कृतिक, साहित्यिक गतिविधियों से सम्बंधित साप्ताहिक समीक्षा, बच्चो तथा महिलाओ से जुडी सामग्री दी जाती है .

Saturday, July 6, 2013

समाचार पत्र का स्वरुप - 12



 विविध पत्रकार
सम्पादकीय विभाग की संरचना में हम अब तक विभिन्न सहयोगी संपादको , संवाददाताओ के दायित्व  के बारे में परिचित हो चुके है. इनके अलावा भी कुछ ऐसे पत्रकार होते है, जिनकी सम्पादकीय विभाग को आवश्यकता रहती है, और उनका कार्य महत्वपूर्ण होता है.
एक समाचारपत्र को तैयार करने और उसे सजाने सवारने में कई लोगो का आपसी तालमेल से काम करना पड़ता है. हम रोजाना समाचार पढते है लेकिन खास फोटो या कार्टून हमारा ध्यान सहसा आकर्षित कर लेते है. एक कार्टून या फोटो का प्रभाव इतना प्रबल होता है, की जो बात कई हज़ार शब्दों के माध्यम से भी व्यक्त नहीं हो पतों, वो कार्टून या फोटो के माध्यम से हो जाती है. इसीलिए अधिकांश समाचारपत्रों में स्थान विशेष पर पाकेट कार्टून प्रकाशन की परम्परा लोकप्रिय हो गयी है. इसलिए कार्टूनिस्ट  सम्पादकीय विभाग का आवश्यक अंग मन जाता है.
इसी तरह प्रेस फोटोग्राफर, समारोह, विभिन्न तरह के घटनाकर्म तथा सम सामयिक विषयों के छाया चित्रों से अखबार की सजीवता और सुन्दरता को बढ़ा देते है. कई बार दुर्लभ फोटोग्राफ अविस्मरणीय बन जाते है. अब तो समाचारपत्रों में एक से अधिक प्रेस फोटोग्राफर रखने की होड़ लग गयी है. जरुरत पड़ने पर स्वतंत्र प्रेस फोटोग्राफर तथा न्यूज़ एजेन्सी भी समाचारपत्रों को छाया चित्र उपलब्द्ध करवाती है